सफर
सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा,
जिंदगीं तेरी खुद की है,
रुबरु तुझको आपने-आप से होना होगा I
सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा..........
चलते चलते गर कोइ रस्ते-सफर मिल भी गया ,
थाम के हाथ ,दो चार राहें-कदम चल भी लिया ,
भीड़ चौराहें की,
गुमनाम हर एक शख्स वहीं पर होगा I
सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा...........
राह के काँटें भी बदतरीन,तुझको चुनना होगा ,
पाँव जख्मी हो,लहु लाल कदम चलना होगा ,
जिंद्गी कम्बख्त सही,
तू हँसे या ना हँसे,अपने हिस्से का जहर पीना होगा I
सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा .............
बाँध के प्यार से अपना ही लिया गर कोइ तुझको ,
नज्म तेरी इनायत में कोइ गा के सुना दिया तुझको ,
तेरी बाबत में,
क्या कोइ मक्बरे-ताज शाह का नज्रराना होगा I
सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा ..............
तेरे रुखसत पेँ तेरे साथ तेरा क्या जायेगा ,
तेरा अपना ,तेरे पीछे धरा रह जायेगा ,
मन में बस सब्र,
वो भी पीछे से कहीं मेरी तरफ आता होगा I
सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा .............
समाप्त