Tuesday, September 25, 2012

20.सफर


सफर



सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा,

जिंदगीं तेरी खुद की है,

रुबरु तुझको आपने-आप से होना होगा I



सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा..........



चलते चलते गर कोइ रस्ते-सफर मिल भी गया ,

थाम के हाथ ,दो चार राहें-कदम चल भी लिया ,

भीड़ चौराहें की,

गुमनाम हर एक शख्स वहीं पर होगा I



सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा...........



राह के काँटें भी बदतरीन,तुझको चुनना होगा ,

पाँव जख्मी हो,लहु लाल कदम चलना होगा ,

जिंद्गी कम्बख्त सही,

तू हँसे या ना हँसे,अपने हिस्से का जहर पीना होगा I




सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा .............



बाँध के प्यार से अपना ही लिया गर कोइ तुझको ,

नज्म तेरी इनायत में कोइ गा के सुना दिया तुझको ,

तेरी बाबत में,

क्या कोइ मक्बरे-ताज शाह का नज्रराना होगा I



सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा ..............




तेरे रुखसत पेँ तेरे साथ तेरा क्या जायेगा ,

तेरा अपना ,तेरे पीछे धरा रह जायेगा ,

मन में बस सब्र,

वो भी पीछे से कहीं मेरी तरफ आता होगा I



सबको अपने हिस्से का सफर आप बसर करना होगा  .............



समाप्त