Sunday, November 17, 2013

22.शहर





मैं गया था तुम्हारे शहर ,तुमसे मिलने
मगर तुम्हारे शहर का मकान ख़ाली पड़ा था
दरवाज़े और खिड़कियाँ सब बन्द पड़े थे
बस एक सन्नाटा ही था,जो दिवारों में सेंध  लगा
मुझे तेरी चौखट से पलट कर लौटने न दिया

Sunday, January 27, 2013

21.उपरी मंजिल



http://www.youtube.com/watch?feature=player_detailpage&v=3POGRbSUPtY#t=60s

उपरी मंजिल

समय करवट बदलता  है
काल का पन्ना पलटता है
कई आहट सिढियॅो  से चढ़
उपरी मंजिल के दरवाजों पर
दस्तक सा देता है I
छत के शख्त दीवारों से
कुछ नए कोपल निकल आये
अमरबेल सीढियों से रेंगती
निचले दरवाजे तक जा पँहुची है I
अब हर कमरें में रौनक है
हर झरोखे में बेगाने का चेहरा है ,
यहाँ तक की मेहमानखाने में
अब किरायेदार रहते है I
पुराना पियानो ,टुटा फ्रेम
मेरे साथ तहखाने में सोता है
यहाँ बेफिक्र ख़ामोशी,मेरी बाँहों में सिमटा
मेरे कब्र पर जार-जार रोता है I