http://www.youtube.com/watch?feature=player_detailpage&v=3POGRbSUPtY#t=60s
उपरी मंजिल
समय करवट बदलता है
काल का पन्ना पलटता है
कई आहट सिढियॅो से चढ़
उपरी मंजिल के दरवाजों पर
दस्तक सा देता है I
छत के शख्त दीवारों से
कुछ नए कोपल निकल आये
अमरबेल सीढियों से रेंगती
निचले दरवाजे तक जा पँहुची है
I
अब हर कमरें में रौनक है
हर झरोखे में बेगाने का
चेहरा है ,
यहाँ तक की मेहमानखाने में
अब किरायेदार रहते है I
पुराना पियानो ,टुटा फ्रेम
मेरे साथ तहखाने में सोता
है
यहाँ बेफिक्र ख़ामोशी,मेरी
बाँहों में सिमटा
मेरे कब्र पर जार-जार रोता
है I