Thursday, August 25, 2022

45.अपने

 45.अपने

कहाँ उँगलियाँ थी ,

मेरे आँसुओं को थामने के लिए

अब मेरे अपने भी,

मेरे मुस्कुराने की वजह पूछते हैं

ये तो नेमत है ख़ुदा की,

हर तूफान से अब तक बचाये रखा

वरना ग़ैरों की तो छोड़िए

अपनों ने भी क्या कोई कसर छोड़ी थी

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