बड़ी मिन्नतें की
ख़ुदा मेरे दामन में चंद सितारे देना
ऊपर बाले की नेमत
मेरे आँचल में चाँद आ ठहरा
इतनी भी नजरें इनायत
मत कर ये रहमतें ख़ुदाया मेरे
क्यो करे शुक्रिया ,
सब तेरा है,तुझ को ही मुबारक़ कर दूं
बस इतनी सी गुज़ारिश हैं
जो कुछ भी दिया तुमने
बस उन पें रहमें करम बनाये रखना
मैं तो उस पायदान पे हूँ
ना जाने कब खाख में मिल जाएंगे
तू था,है और साथ रहेगा सबके।।
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