Thursday, August 25, 2022

54.फिर एक बार सही

 सब तो हैं,तुम कहाँ हो ?

तुम्हारी मुस्कुराहट पीछा करती है
घर का हर कोना छान मारा
सड़क पर हर छतरी के नीचे देखा
नही थे तुम ।
कहाँ गए,क्यो गए
बोले भी नहीं कि आता हूँ
ऐसे कोई जाता है क्या
सब तुम्हारा रास्ता तक रहे
तास की पत्तियाँ युही बिखड़ी पडी हैं।
तुम मेरे साथ हो ना?
तुम्हे कोई अब परेशान नही करेगा
तुम्हारे हारने पर
मैने सबको डाँट के अभी बिठाया है ।
आ जाओ
सब खाली लगता
सन्नाटा ,
प्लीज फिर एक बार
चहक कर पुकार लो
नाराज हो कर चुप्पी सही नही
आ जाओ ।
फिर एक बार सही,
कह कर जाने
के लिए आ जाओ ।
अबके जाने ना दूँगी
कस के थामे रखूँगी
अगर ज़िद पर आ गए तुम
तो मैं भी तेरे संग हो लूँगी

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